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The Neo Protagonist
tara dreams

तारा और डर का बैग

by Saba Fatima

उसके माता-पिता उसे ज़रूरत की हर चीज़ लाकर देते थे, लेकिन वह शायद ही कभी संतुष्ट होती थी।
नए कपड़े, नई पेंसिलें, नए बैग—उसके पास सब कुछ था, लेकिन कुछ ही दिनों में उसे और चाहिए होता। अगर किसी और के पास कुछ नया होता, तो तारा को भी वही चाहिए होता।

उनका घर स्कूल कैंपस के अंदर ही था और हर दिन वह अपनी सबसे अच्छी दोस्त पिंकी के साथ स्कूल जाती थी।
एक सुबह, तारा ने पिंकी के चमचमाते लाल जूतों को देखा। वे धूप में चमक रहे थे।

उस शाम तारा रोती हुई घर आई।
“मुझे भी पिंकी जैसे जूते चाहिए!” वह चिल्लाई।
“पर तुम्हारे जूते तो ठीक हैं,” उसकी माँ ने प्यार से कहा।
“मुझे ठीक नहीं चाहिए! मुझे नए चाहिए!” तारा चिल्लाई।

कुछ दिनों बाद, स्कूल में एक और लड़की चमकदार, झिलमिलाता नया बैग लेकर आई। तारा उसे दिन भर घूरती रही।

उस शाम फिर से आँसू और चिल्लाना शुरू हो गया।
उसके माता-पिता थक चुके थे।
“वह बस उस चीज़ से खुश क्यों नहीं हो सकती जो उसके पास है?” उसके पिता ने गहरी साँस ली।

फिर एक दिन आया जब पिंकी शहर से बाहर थी। तारा अकेले स्कूल जा रही थी।
रास्ते में, एक विशाल पुराने पीपल (बरगद) के पेड़ के नीचे, उसने कुछ देखा—
एक सुंदर गुलाबी बार्बी बैग पत्थर की दीवार पर रखा था।

Tara finds a pink bag

वह बिलकुल नया लग रहा था। पास में कोई नहीं था।
उसने झाँककर देखा। बैग खाली था। न कोई नाम लिखा था, न कोई कॉपी-किताब।
तारा थोड़ी देर रुकी। लेकिन कोई नहीं आया। तो उसने वह बैग उठा लिया।

स्कूल में किसी ने उससे कुछ नहीं पूछा। किसी ने बैग को अपना नहीं बताया, इसलिए तारा ने उसे रख लिया। अब वह बैग उसका हो गया।

घर पर माँ ने पूछा, “नया बैग कहाँ से आया?”
“स्कूल की लड़कियों ने मुझे जन्मदिन पर दिया,” तारा ने झूठ कहा।
माँ को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन उन्होंने बात को वहीं छोड़ दिया।

दिन बीतते गए। फिर एक दिन तारा ने स्कूल में उस बैग में अपना रबड़ गिरा दिया।
जब वह उसे निकालने गई, तो उसकी उंगलियाँ किसी ठंडी और धातु जैसी चीज़ से टकराईं।

उसने उसे बाहर निकाला। वह एक लाल माणिक (रूबी) की अंगूठी थी—पुरानी और चमकदार।

उसने यह बात किसी को नहीं बताई। लेकिन जब से उसने वह अंगूठी पहननी शुरू की, अजीब सपने आने लगे।

नींद में, वह एक लड़की को देखती थी—घुंघराले, लहराते बालों वाली, जो वही लाल अंगूठी पहने होती थी। उसका चेहरा पीला होता। सपने में, वह लड़की तारा के पास झुकती… और अपनी ठंडी उंगलियाँ तारा की गर्दन पर रखती… धीरे-धीरे उसका गला दबाने लगती।

तारा चीखते हुए उठ जाती।

tara dreams

डरी हुई तारा ने वह अंगूठी पहनना बंद कर दिया। एक दिन, जब कोई नहीं देख रहा था, वह वापस पीपल के पेड़ के पास गई और अंगूठी वहां फेंक आई।

उसी रात तारा बहुत बीमार पड़ गई।

उसे तेज़ बुखार हो गया। उसके हाथ ठंडे पड़ गए। वह ठीक से साँस नहीं ले पा रही थी।
वह न खा पा रही थी, न बोल पा रही थी। ज्यादातर समय वह छत को बस खाली नज़रों से देखती रहती थी।

डॉक्टर आते गए, दवाएं दी गईं, जाँच हुईं—पर कुछ असर नहीं हुआ।

उसकी हालत बिगड़ती गई, और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। नर्सें हर समय उसका ध्यान रखतीं, उसके हाथों में ट्यूब लगी होतीं, बगल में मशीनें बीप करती रहतीं। लेकिन कोई यह नहीं समझ पाया कि एक स्वस्थ बच्ची इस तरह क्यों बुझती जा रही थी।

पूरा हफ्ता उसके माता-पिता ने नींद नहीं ली।
माँ उसके पास बैठकर उसके बाल सहलाती, धीरे-धीरे कुछ बोलतीं—शायद कुछ बात उसके दिल तक पहुँच जाए।
पिता बाहर बैठकर सिर हाथों में लिए रोते, कॉल करते, डॉक्टरों से पूछते—लेकिन कोई हल नहीं मिला।

उन्होंने हर भगवान से प्रार्थना की। मंदिरों में दीप जलाए, चर्चों में प्रार्थना की, अस्पताल में मोमबत्तियाँ जलाईं।
वादा किया कि वे और अच्छे माता-पिता बनेंगे—बस तारा अपनी आँखें खोल दे।

लेकिन तारा और गहराई में जाती रही—बीमारी में और उन अजीब, डरावने सपनों में।

फिर एक रात, जब सब उसके आस-पास बैठे थे, तारा ने एक और सपना देखा।

सपने में, वह एक कार में थी। पिछली सीट पर उसकी माँ उसके साथ बैठी थी और पिता गाड़ी चला रहे थे।
उसकी गोद में वही गुलाबी बैग था। माँ वही लाल अंगूठी पहने थीं।

“इसे ज़रा पकड़ना,” माँ ने कहा, हाथों पर मलहम लगाने के लिए अंगूठी उतारी।
तारा ने अंगूठी पहनी… और फिर उसे अपने गुलाबी स्कूल बैग में डाल दिया।

car crash scene

बस कुछ पल बाद, कार फिसल गई, नियंत्रण खो बैठी और एक गहरे खाई के पास पेड़ से टकरा गई।
आग लग गई। पूरी कार जलने लगी।

सबकी मौत हो गई—सिवाय माँ के।

सपने में तारा ने देखा कि बैग और अंगूठी सड़क किनारे नाले में गिर गए—ठीक पीपल के पेड़ के नीचे।

जागने के बाद, तारा ने अपने माता-पिता को सब कुछ बता दिया—बैग, अंगूठी और उसने क्या किया था।

वे तुरंत पुलिस स्टेशन पहुँचे, अधिकारियों को सपना सुनाया और हादसे का विवरण दिया।
सुनकर पुलिस भी हैरान रह गई। कुछ महीने पहले वहीं एक भयंकर हादसा हुआ था। एक आदमी और एक बच्ची की मौत हो गई थी। माँ ही बची थी। परिवार का सामान कभी नहीं मिला—बस कुछ चीज़ें नाले में बह गई थीं।

पुलिस वालों ने जाकर पीपल के पेड़ के पास अंगूठी खोजी और उसे ढूंढ निकाला।
वे उस महिला को भी खोज लाए।

वह एक सफेद बड़े से घर में, हरियाली से घिरे बगीचे में चुपचाप रह रही थी।

जब उसने अंगूठी देखी, उसकी आँखें भर आईं।
“यह मेरी है… हादसे में मेरी बेटी के साथ थी,” उसने धीरे से कहा, अंगूठी को सीने से लगाते हुए।
“ऐसा लगता है… तुमने मेरी बेटी का एक हिस्सा मुझे लौटा दिया।”

उसी समय, तारा जो बैग वापस करने लाई थी, वह जलने लगा—बिना आवाज़ किए।
उससे कोई नुकसान नहीं हुआ—केवल बैग राख में बदल गया।
वे सब चुपचाप देखते रहे कि कैसे वह राख आकाश में उड़कर गायब हो गई।

सब चौंक गए, लेकिन महिला का चेहरा शांत था। उसकी आँखों में आँसू थे, और होंठों पर एक हल्की मुस्कान।

“वह आई थी… वह बस मेरा सामान लौटाने आई थी,” उसने धीरे से कहा।

returning the ring

उसी रात तारा का बुखार उतर गया। उसके गालों पर रंग लौट आया।
सुबह होते ही वह बैठी, मुस्कुरा रही थी। वह ठीक हो चुकी थी।

कुछ दिन बाद, उस दयालु महिला ने तारा के परिवार को अपने घर बुलाया।
“तुम कभी भी आ सकती हो,” उसने मुस्कराते हुए कहा। “मेरी बेटी को तुम्हारे साथ बगीचे में खेलना बहुत अच्छा लगता।”

तारा ने सिर हिलाया, उसकी आँखों में आभार की चमक थी।
वह खुश थी।

और उस दिन के बाद से—उसने कभी नए सामान के लिए ज़िद नहीं की।
उसने जो कुछ भी था, उसके लिए आभारी होना सीख लिया।

Read in English: Stubborn Tara and a scary spooky discovery

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